हिंदी साहित्यिक गोष्ठी, हर सप्ताह में शुक्रवार को आयोजित की जाती है। यह अपने आप में एक खुला मञ्च है जिसमें कक्षा छठी से कक्षा दसवीं तक के छात्र प्रतिभाग करते हैं।
हिन्दी की इस गोष्ठी में कई बार भाषा के आधारभूत तथ्य चर्चा का विषय बनते हैं और कई बार साहित्य से जुड़ी आम चर्चाएँ, कथाएं और काव्य।
यह मञ्च वाचक और श्रावक दोनों के लिए खुला है। कभी वाचक, श्रावक बनता है और कभी श्रावक, वाचक बनकर गढ़ता है- छंद, कथा, गप्प, चुटकुले और ठिठोलियाँ।
जी हाँ! हम ठिठोलियाँ भी गढ़ते हैं। हम, इस मञ्च पर सीखते हैं- बोलना-बतियाना, किस्सागोई, काव्य-सृजन, कथात्मक अंदाज और अभिव्यक्ति।
और कथाकारी, तुकबंदी और ठिठोलियों के अनन्तर यहाँ सीखी जाती है- जीवन की अभिव्यक्ति.. एवम् समाज में चरित्र का निर्माण।